Friday, February 3, 2012
‘सुजीत कुमार’ को याद करते हुए…
सिनेमा प्रशंसक 1960 दशक की हिन्दी फ़िल्मों को आज भी याद करते हैं, इस सिनेकाल के समर्थक ‘लाल बंगला’(1966), एवं ‘एक साल पहले’(1965) जैसी लघु बजट फ़िल्मों के तेज़-तर्रार अभिनेता ‘सुजीत कुमार’ को नहीं भूले हैं । सुपरहिट ‘आराधना’(1969) के गीत ‘मेरी सपनों की रानी’ में ‘राजेश खन्ना’ की जीप में पास बैठा वह शख्स बरबस ही याद आ जाता है ।
आराधना से राजेश खन्ना को ‘सुजीत कुमार’ के रूप में ओन-स्क्रीन साथी मिला, सुजीत उनके साथ ‘हांथी मेरे साथी’ ,‘अमर प्रेम’ , ‘मेहबूबा’ और ‘रोटी’ में आए । इस तरह सुजीत कुमार अमिताभ बच्चन, और धर्मेंद्र जैसे चोटी के अभिनेताओं के साथ भी अनेक बार नज़र आए । अमिताभ (द ग्रेट गैम्बलर, अदालत) एवं धर्मेंद्र (जुगनु, धर्मवीर, चरस, ड्रीम गर्ल,आंखें) उनकी कुछ सफ़ल फ़िल्में रहीं हैं ।
सिने जगत में सुजीत कुमार को ‘भोजपुरी सिनेमा’ के महान अभिनेता के रूप में भी याद किया जाता है, भोजपुरी संसार में ‘बिदेसिया’(1963) का ‘बिदेसी ठाकुर’किरदार मिल का पत्थर’ जैसा है । सुजीत की फ़िल्म ‘दंगल’ ने भोजपुरी सिनेमा की डूबती हुई कश्ती का बेडा पार लगाया,फ़िल्म की बाक्स-आफ़िस सफ़लता ने भोजपुरी को नया जीवन दिया ।
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